गुजरते थे तुम्हारे कुचेसे देखते थे हम तुम्हें ,
अधखुली खिडकीसे कनखियोंसे देखते हुए चूपके चूपके..
पीठ हमारी तकते रहना दूर जाते हुए देर तक ,
तुम्हें महेसूस किया था हमने चूपके चूपके.....
तुम्हारी अम्मी जब नाम पुकारती थी हमारा कभी,
तुम्हारा दिल धडक जाता था शायद जोरोंसे या चूपके चूपके.....
तुम्हारी डायरीके पन्नोंके बीच सूखे गुलाबको सहलाते हुए,
महक अधूरी ढूंढते देखा था हमने भी तो तुम्हें चूपके चूपके...........
जिंदगी मेरे लिए ख्वाबोंके बादल पर उड़नेवाली परी है .!! जो हर पल को जोड़ते हुए बनती है, और उन हर पलोंमें छुपी एक जिंदगी होती है ....
3 जनवरी 2009
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