17 दिसंबर 2008

संगीत ...!!!




संगीत होता है उनके पास भी जिसने कभी कोई गाना न सुना ,कोई साज न सुना । गर आप किसी गीत संगीत सुर या ताल से वास्ता न रखते हो तो आज ये बात पढ़ लो :


सुबह में मस्जीदसे सुनाई देती है आजान की आवाज -एक संगीत ,

मन्दिर में बजती घंटी और आरती की आवाज -एक संगीत ,

सुनो ये पंछी की चहचहाट -एक संगीत .......

भौरों की ये गुंजन या कोयल की कुहू कुहू -एक संगीत .....

जन्मके साथ गूंजता है बच्चे का जो रुदन उसमें है संगीत ,

वह खिलखिलाती हँसी को सुनो तो वह भी तो है संगीत ,

माँ की लोरियां सुला देती थी सुकून से वह भी है एक संगीत ,

घरमें होती जो पूजा ,प्रार्थना ,बंदगी या आरती में गूंजता है संगीत ,

बादलोंकी गरजमें गरजता है एक संगीत ,

बिजली जब कड़कती है तो डराता है वह संगीत ,

बारिशकी छम छम बूंदोंमें सुरीली सरगम सुनाता है संगीत ,

बारिश के रुकते ही मेढक आगे बढाता है वह संगीत .....

चलो अब दिल पर हाथ रख दीजिये ,

सुनाई दिया आपको आपकी धडकनों का सुरीला संगीत ???!!!!

2 टिप्‍पणियां:

  1. bahut surmayi sangeet sunaya aapne ....badhai ho....


    Jai HO Magalmay HO....

    जवाब देंहटाएं
  2. खरगोश का संगीत राग रागेश्री पर आधारित है जो कि खमाज थाट का सांध्यकालीन राग है, स्वरों में कोमल निशाद
    और बाकी स्वर शुद्ध लगते हैं,
    पंचम इसमें वर्जित है, पर हमने इसमें अंत में पंचम का प्रयोग भी किया है, जिससे इसमें राग बागेश्री भी झलकता है.
    ..

    हमारी फिल्म का संगीत वेद
    नायेर ने दिया है.
    .. वेद जी को अपने संगीत कि प्रेरणा जंगल में चिड़ियों
    कि चहचाहट से मिलती है.
    ..
    Take a look at my weblog ... खरगोश

    जवाब देंहटाएं

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