कभी तनहा रहने का बहाना ढूंढते थे ,
तेरी यादों के सफे पर लिखे
हर गुजरे लम्हों को जीने के लिये…..
अब तन्हाई से डर लगता है,
फिर से तेरी बेवफाई
सबब न बन जाए मेरी रूसवाई का …..
न तेरा गम है न तेरी जूत्सजु,
तु सलामत रहे तेरे ख्वाबो के साथ ,
मेरी वो पाक यादों पर
तेरा साया भी ना पडे …..
गर कभी सामना हुआ
जिन्दगी की राह पर चलते चलते,
पहचान से भी मुकर जाने का
वादा है मेरा ...।।
बसर जायेगी ये जिन्दगी तनहा भी ,
तेरी यादों की धून्ध मे
मेरा नाम तक तुझे याद न रहे…..
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें