वो बदगुमां नहीं ,वो बे हया नहीं ,
पर बेरहम हो सकते है ....
प्यार से उनका न रहा हो इत्तेफ़ाक़
ये मुमकिन हो सकता है ....
पर वो किसीका प्यार बने वो मुमकिन है ....
चाँद और तारे रातों में नज़र आते है ,
गौर फरमाइए जरा , तवज्जो भी दें .....
चाँद और तारे रातों में नज़र आते है अक्सर ...
पर इस चाँद के दीदार से मेरे हर दिन का आगाज़ होता है ....
वो कहते है तुम्हारी किस्मत की लकीरों में हम नहीं ,
उन्हें क्या पता ...की उन्हें क्या पता है ???
हमारे पास तो हथेली ही नहीं .....
क्या कहूँ बस आवाज को बनाकर अपना संदेसा ,
मैंने महफ़िल में गाई एक नज़्म ,
उन्होंने मुझे देखा भी कनखियोंसे ,
बस हाथ पर दुशाला ओढ़े कसीदे जो मैंने पढ़े ,
लब्ज़ोंने किस्मत लिख दी थी मेरी
जो न हाथोंमे थी न लकीरों में .....
तेरी यादों से वाबस्ता कभी तनहा न हुए हम ....
तेरी डोली को भी रुखसत करने आये थे हम ....
पर बेरहम हो सकते है ....
प्यार से उनका न रहा हो इत्तेफ़ाक़
ये मुमकिन हो सकता है ....
पर वो किसीका प्यार बने वो मुमकिन है ....
चाँद और तारे रातों में नज़र आते है ,
गौर फरमाइए जरा , तवज्जो भी दें .....
चाँद और तारे रातों में नज़र आते है अक्सर ...
पर इस चाँद के दीदार से मेरे हर दिन का आगाज़ होता है ....
वो कहते है तुम्हारी किस्मत की लकीरों में हम नहीं ,
उन्हें क्या पता ...की उन्हें क्या पता है ???
हमारे पास तो हथेली ही नहीं .....
क्या कहूँ बस आवाज को बनाकर अपना संदेसा ,
मैंने महफ़िल में गाई एक नज़्म ,
उन्होंने मुझे देखा भी कनखियोंसे ,
बस हाथ पर दुशाला ओढ़े कसीदे जो मैंने पढ़े ,
लब्ज़ोंने किस्मत लिख दी थी मेरी
जो न हाथोंमे थी न लकीरों में .....
तेरी यादों से वाबस्ता कभी तनहा न हुए हम ....
तेरी डोली को भी रुखसत करने आये थे हम ....
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें