7 अक्तूबर 2015

आखिर में शून्य सी ???!!!

उस जमीं पर मेरा नाम लिखा है ,
मेरा पता लिखा है ,उसे इंतज़ार है ,
पर मेरे ठिकाने का पैगाम कहाँ लिखा है ???
मिलना है तो कहाँ मिलु ये कहाँ लिखा है ???
दम ब दम चलती रूकती सांस  बस रेल सी
पटरी पर सीधे सीधे चलते जा रही है ,
स्टेशन पर उस बेंच पर जाकर बैठूँ सुस्ता कर ,
पर प्लेटफॉर्म छोड़ने का फरमान कहाँ लिखा है ???
बागी बन रही है जिंदगी , हर कोई नियम जो
बोज़से लादकर घूम रहे है यहाँ वहाँ
उनसे ही घूंट रही है जिंदगी खुद की ,
चलो जिंदगी की रेल को पटरी से डी रेल कर दें  ???
जानते है हमारे आने से पहले भी जिंदगी रुकी नहीं ,
हमारे जाने के बाद भी जिंदगी रुकेगी नहीं ,
फिर क्यों खुद की जिंदगी को रोक लेते है हम ??
जोड़ा काटा जोड़ा काटा और आखिर में शून्य सी ???!!!

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