30 अक्तूबर 2015

औरत : तेरी कहानी (7 )

पापा आज थोड़े देर से घर लौटे थे रात करीब साढ़े दस बजे  . माँ उन्हें कुछ कहे उससे पहले तो दादी का आलाप और रोना धोना शुरू हो चूका  . अब तक तो माँ ने इतने स्वस्ति वचन दादी की जुबानी सुन लिए थे की शायद इस जिंदगी का क्वॉटा खत्म हो जाए  . उस दिन दीदी बोलकर गयी थी की उसकी एक्स्ट्रा क्लास है तो वो बाजु वाली शेफाली और उसके भाई के साथ ही लौटेगी  . सच में एक्स्ट्रा क्लास तो थी और लगभग पौने दस बजे शेफाली और उसके भाई के लौटने के  बाद हंगामा शुरू हो गया  . वो लोग सीधे शेफाली के घर गए  . शेफाली से पता चला की दीदी आज कॉलेज नहीं आई थी  .  बस फिर तो क्या था  सारे  पटाखे आज ही फूटे  .
माँ भगवान के सामने रोये जा रही थी पर उसकी प्रार्थना थी की : जल्दी साढ़े ग्यारह बजे और दीदी की फ्लाइट टेक ऑफ़ हो जाए  . पापा पुलिस में जाने के खिलाफ थे और दादी भी  . मैं तो बस दीदी के बारे में सोच रही थी  . लगभग रात के बारह बजे फोन की घंटी बजी  . दिल्ही वाली बुआ थी  . पापा ने फोन उठाया  . उन्होंने कहा : वीरजी , शायद आप श्रद्धा (दीदी ) को लेकर परेशान होंगे  . पर अभी साढ़े ग्यारह बजे की फ्लाइट से वो अमेरिका जाने के लिए रवाना  हो चुकी  है  . भाई शायद तुम अभी अपने आप को सबसे ज्यादा कोस रहे होंगे पर याद रखना की इसी लड़की के लिए सिर्फ तुम नहीं ये देश भी फख्र करेगा  . तुम अपने हीरे को नहीं पहचान पाये पर मैंने उसका मोल जाना है  . शायद अगर तुम मुझसे अब कोई रिश्ता न रखो तो भी मुझे कुबूल होगा  . और फोन रख दिया गया  .
पापा फटी आँखों से सामने वाली दीवार को तक रहे थे  . मैं अपने कमरे में सोने चली गयी  . मैं इस बात से बेखबर थी की अब इस बात का असर मेरी जिंदगी पर कैसे होने वाला था ????!!!

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