2 अक्तूबर 2015

औरत : तेरी कहानी (4 )

दीदी  को अब घरके काममें माँ का हाथ बंटाना पड़ता था।  दीदी पढाईमे  तेज थी।  कक्षामे अव्वल आती थी। और मैं साधारण थी। मैंने एक रात दीदी से पूछा : दीदी आप बड़ी होकर क्या बनना चाहती है ??
दीदी बोली :मुझे अवकाश विज्ञानी बनना है। मुझे कल्पना चावला  जैसे अवकाश  जाना है।
मैंने पूछा :  उसके लिए  ढेरो पैसे लगेंगे। हमारे पास तो नहीं है।
दीदी  बोली : अगर मैं बहुत अच्छे नंबर से आउंगी तो मुझे सरकारसे वजीफा मिलेगा।
दीदीकी आकाशके बारे में जानकारी अच्छी थी। वो इंटरनेट पर बहुत कुछ पढ़ती भी थी।
दीदी 10 वी कक्षामे पुरे राज्य में पांचवे क्रमांक पर आई। पापा ने बारह्वी कक्षा तक कुछ नहीं कहा। दीदी ने अवकाश विज्ञानं  पढाई के लिए जरुरी तैयारी करनी शुरू कर दी। दीदीने आगे पढ़ने  के लिए अमेरिका की एक यूनिवर्सिटी में टेस्ट दिया था चुपके चुपके और उनके पढ़ने का रहने का सारा खर्च यूनिवर्सिटी उठनेवाली थी और वहां से आकाश का रास्ता खुल जाएगा ये सपना दीदी सोते जागते देखती रहती थी।
पर उस वक्त हमारे  समाज के अच्छे घर से एक रिश्ता आया। पिताजी  और दादीजी ने तुरंत रिश्ता पक्का भी कर दिया दीदी से पूछे बगैर।
उस दिन दीदी बहुत रोई ,गिड़गिड़ाई  की उन्हें पढ़ने दिया जाय। उनके कॉलेज  प्रिंसिपल भी पिताजी  समजाने आये पर कोई नहीं माना। दीदी  के सपने तो उनकी आँखों में ही टूट गए। पिताजी ने कहा की अव्वल  मैं उसे दूसरे शहर पढ़ने तो भेजूंगा ही नहीं और ये लड़के के घर वाले दान दहेज़में कुछ भी नहीं चाहते।  दो बड़ी कोठी है और तीन फैक्टरी है। बेटी तो महारानी की तरह रहेगी। पढ़कर भी वो चूल्हा चौका ही करेगी न !!! कम से कम उसे यहाँ पर पैसे की चिंता  तो कभी न होगी। वैसे भी  सयानी लड़की  के हाथ जितने जल्दी पीले हो जाय उतना अच्छा। बस लड़के पहली शादी टूट चुकी थी और उम्र में दीदी से 12 साल बड़ा था। पर ये थोड़े ही देखा जाता है दादी के और पिताजी के राज में ???!!! माँ तो बिचारी मन  मनमें रोती रहती थी। उसके लिए तरफ पतिकी इच्छा थी और दूसरी तरफ बेटीके अरमानों का कफ़न !!!
दीदीकी आँखे सुनी पड़ चुकी थी। अब तो वो हंसना बोलना भी कम कर चुकी थी। वो समज चुकी थी की आकाश के तारे कभी हाथमे नहीं आ सकते। पिताजी ने शादीकी तारीख पक्की कर दी वो ही दिन एक मेल आया जिसमे दीदीकी पढाई  अमेरिका में एडमिशन गया था  . और वो लोग वीज़ा और टिकट सात दिन बाद भेज रहे थे  .
उस दिन मेरी बुआ दिल्ही से आई  ………।

1 टिप्पणी:

  1. ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, लकीर बड़ी करनी होगी , मे आपकी कमाल की पोस्ट का सूत्र हमने अपनी बुलेटिन में पिरो दिया है ताकि मित्र आपकी पोस्ट तक और आप उनकी पोस्टों तक पहुंचे ..आप आ रहे हैं न ...
    --

    जवाब देंहटाएं

विशिष्ट पोस्ट

मैं यशोमी हूँ बस यशोमी ...!!!!!

आज एक ऐसी कहानी प्रस्तुत करने जा रही हूँ जो लिखना मेरे लिए अपने आपको ही चेलेंज बन गया था । चाह कर के भी मैं एक रोमांटिक कहानी लिख नहीं पायी ...