19 जुलाई 2012

तुम अपनोंमें शुमार !!!!!

तेरी हर बेवफाईको बड़ी वफ़ासे सह लिया हमने ,
बस तुमसे  किया इश्कका एक वादा निभा लिया हमने .....
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क्यों अश्क भी खारे और आंसू भी ?
आँखोंमें भी समुन्दर छिपा होगा शायद ?!!!!
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कहेना नहीं आया था बस की तुम्हे प्यार करते है बेशुमार ,
वर्ना शायद हमारा नाम भी शायद कर लेते तुम अपनोंमें शुमार !!!!!
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एक दर्दसे दुसरे दर्दका सफ़र भी कुछ अजीब होता है ,
बीच राहमे कभी कभी ख़ुशी का भी मक़ाम होता है !!!!
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कभी कभी गौरसे देख लो ये तेज हवाके झोंकोंको ,
इनमें कभी कभी दर्द भी तिनके बनकर उड़ जाते है ....
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बहुत इम्तेहानोंसे गुजरती है जब ये जिंदगी ,
सोने सी तपकर सुलगती है ये जिंदगी ....

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