10 जुलाई 2012

मौसम आशिकाना है ...

आज फिर मौसम आशिकाना है ,
आज सूरज भी भीगा भीगा है ,
हर पल आसमान सूनेपनसे झुझता था अब तक ,
अब बादलोंके झुरमुटसे घिरा घिरा सा है ,
आज उन्हें समाधी लग गयी है शायद ,
उसके कमंडलसे टिप टिप करके टपकती है एक एक बूंद ,
मुझे कोरा कोरा रखती है ,
मुझे बूंद बूंद भीगा देती है ,
नमीं बनकर झलकती है मेरे चेहरे पर ,
जैसे नर्म नर्म आहटोंमें भीगती है खुद शबनम !!!!!
मैं कोरी कोरी फिर भी सराबोर मन
वो एक एक बूंदसे भरा है मौसमने फिर नशे का जाम !!!!!!

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