25 दिसंबर 2011

थेंक यु सांता ...!!!!!!!

कल रात एक ख्वाब लेकर आया मेरा सांता क्लोज़ ,
मेरे मैले मौजेमें दो ख्वाब रखकर चला गया .....
एक किताब थी एक ख्वाबके लिबासमें ,
जिसके हर पन्ने पर मेरे ख्वाब सजेथे नज़्म बनकर ....
उसमे तस्वीरे भी लगी थी मेरे बचपनकी .....
उसमे धुंधलासा एक चेहरा भी था ,
उसके शीर्षककी जगह जिंदगी लिखा था .....
दुसरे सफे पर एक मोमबत्ती थी ,
और तीसरे सफे पर उस मोमबत्ती के उजालेमें वो चेहरा फिर था ....
दूसरी किताब कोरी थी ,
उसके साथ एक दवात जुडी थी ....
एक स्याहीकी भरी बोतल थी .....
सुबह उठकर मैंने आसमां को देखकर
जोरोंसे आवाज लगायी उस आखरी सितारेको जो अस्त होने जा रहा था .....
थेंक यु सांता ...!!!!!!!

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