मेरे घरकी एक खिड़की का कांच आज टूट गया ,
कोई बहती हवा का झोका बिन पूछे आ गया ....
लिख कर लाया था वो मेरे वतनका एक पैगाम ,
चल एक बार फिर वतन को हो आये .....
आती हवाओंने दिया है न्यौता वतनकी सफरका
दीवालीकी खुशबू फिर गूंज रही है जहनके जहानोमे ......
आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
जवाब देंहटाएंप्रस्तुति आज के तेताला का आकर्षण बनी है
तेताला पर अपनी पोस्ट देखियेगा और अपने विचारों से
अवगत कराइयेगा ।
http://tetalaa.blogspot.com/
वाह ....बेहतरीन प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर हृदयस्पर्शी भावाभिव्यक्ति....
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