17 अगस्त 2011

आ गया ...



ठोकर खाते हुए राहोंमें हमें संभलना आया ,


लड़खड़ाते कदमोसे भी उठकर चलना आया ,


बस बेबसीको दरकनार किया हमने कुछ ऐसे ,


हमें बिन माजीकी नाव को भी मजधारसे पार लगाना आया ........

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