एक पयमानेसे मय जाने कहाँ गुम हो गयी ???
लगता है ये तो बुँदे बनकर बादलमें घुल गयी !!!!!!!
छलक पड़ी जब बादलोंकी हँसी बिजलीके रूप में कहीं !!
ये मय फिर बरसकर मेरा पयमाना भर गयी ,
वो शराबथी जो तुम्हारी आँखोंसे छलक रही थी ,
वो मय थी जो तम्हारी झुल्फोंसे टपक रही थी ..........
जिंदगी मेरे लिए ख्वाबोंके बादल पर उड़नेवाली परी है .!! जो हर पल को जोड़ते हुए बनती है, और उन हर पलोंमें छुपी एक जिंदगी होती है ....
12 जुलाई 2011
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