आज प्यार के उत्सव पर ये मेरी सातसौवी पोस्ट .......
नयी कोपले दे रही है दुहाई प्यार को ,
देखो प्रकृति भी फूलोंके वस्त्रों का परिधान करके आई है ,
कहीं अनायास ही कोयलका धीमा सूर सुनाई देता है ,
ये प्रणय देवता कामदेव अपने फूलोंके धनुषसे
छोड़ रहे है रति पर प्रणय बाण .....
जवां दिल धड़कनेका मौसम जहाँ पर
नए प्रेम पुष्प का अंकुरण होता है ,
एक एहसास का झरना स्फुट होता है ,
प्रणय के आशियानेके दरवाजे पर एक दस्तक
दे रही है ये ऋतू जो दस्तक उसे वसंतपंचमी का आना ...
जिंदगी मेरे लिए ख्वाबोंके बादल पर उड़नेवाली परी है .!! जो हर पल को जोड़ते हुए बनती है, और उन हर पलोंमें छुपी एक जिंदगी होती है ....
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
विशिष्ट पोस्ट
मैं यशोमी हूँ बस यशोमी ...!!!!!
आज एक ऐसी कहानी प्रस्तुत करने जा रही हूँ जो लिखना मेरे लिए अपने आपको ही चेलेंज बन गया था । चाह कर के भी मैं एक रोमांटिक कहानी लिख नहीं पायी ...
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें