24 जनवरी 2011

शामोसहर

कभी सहरसे शामकी मुलाकात तो होती
बतिया लेते दोनों क्या गुजरी उन पर भी .....
============================
सूरज जल जाता है सालोंसे
फिर भी खाक नहीं हुआ ...
=============================
दिन को नींद ना आती हो इंतज़ारमें रातके
रात भी बेखबर जगती रहती है सुबहके इंतज़ारमें ....

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

विशिष्ट पोस्ट

मैं यशोमी हूँ बस यशोमी ...!!!!!

आज एक ऐसी कहानी प्रस्तुत करने जा रही हूँ जो लिखना मेरे लिए अपने आपको ही चेलेंज बन गया था । चाह कर के भी मैं एक रोमांटिक कहानी लिख नहीं पायी ...