जानते हो सपना का पता ?
वो समुन्दरके किनारे के रेत के घरो में रहती है
बस बनती और बिखरती है
संवरकर फिर रेत में घुलती रहती है ....
ये शर्मीली अभिसारिका है ...
एक पर्दानशीं हुस्नकी मल्लिका ...
बड़ी बेदर्द भी है ये ,शर्तो के पुल पर चलकर मिलने आती है ...
आँखों में समानेके लिए
नींद नामकी सहेली को भी साथ लाती है ...
जब समा जाती है नयन की बाँहोंमें
पलकोंकी चिलमन गिराती है ....
जिन्दा करने का जूनून , या मिलन का सुकून !!
जुदाईका गम या मिलन का खुमार !!!!
लजाती ,डराती, लुभाती ,खिजाती,रिज़ाती
ये शर्मीली दुल्हन
दबे पाँव आकर ,दिल में समाकर
चुपके से सरक जाती है ....
जिंदगी मेरे लिए ख्वाबोंके बादल पर उड़नेवाली परी है .!! जो हर पल को जोड़ते हुए बनती है, और उन हर पलोंमें छुपी एक जिंदगी होती है ....
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