सूखे पत्ते पर लिखा वो पयगाम आया ,
जैसे कोई फिजामें बहारका झोका आया ,
पत्तीकी सरसराहट बुद बुदा रही थी हौले से ,
जिसका इंतजार था उससे मिलन का मौसम आया ...
जिंदगी मेरे लिए ख्वाबोंके बादल पर उड़नेवाली परी है .!! जो हर पल को जोड़ते हुए बनती है, और उन हर पलोंमें छुपी एक जिंदगी होती है ....
26 अगस्त 2010
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