स्कुल की छड़ी तब ऐसी थी पड़ी
अब की घडी आये याद वो सुहानी घडी ,
चलो आज अकेले में बच्चे की बेग उठाकर देखे ,
उसकी किताबों में अपने बचपन को ढूंढकर देखे ....
जिंदगी मेरे लिए ख्वाबोंके बादल पर उड़नेवाली परी है .!! जो हर पल को जोड़ते हुए बनती है, और उन हर पलोंमें छुपी एक जिंदगी होती है ....
आज एक ऐसी कहानी प्रस्तुत करने जा रही हूँ जो लिखना मेरे लिए अपने आपको ही चेलेंज बन गया था । चाह कर के भी मैं एक रोमांटिक कहानी लिख नहीं पायी ...
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें