कल रात चौदवीका चाँद
गगनकी सैर को आया था ...
मेरी खिड़की के शीशे में ...
अपना अक्स देखकर वो भी इतराया था ....
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चांदके कागज़ पर सितारोंने एक नज़्म लिखी है ...
ना आये गर समज में हर किसीकी वो ...
उसे समजने बस एक नियामत खुदा से पानी है ,
बस इश्क हो जाए किसीसे तो वो खुद ब खुद समज आ जानी है ....
BAHUT KHUB
जवाब देंहटाएंBADHAI IS KE LIYE AAP KO
SHEKHAR KUMAWAT
BAHUT KHUB
जवाब देंहटाएंBADHAI IS KE LIYE AAP KO
SHEKHAR KUMAWAT
Maaf kijiyga kai dino busy hone ke kaaran blog par nahi aa skaa
जवाब देंहटाएंati sundar...
जवाब देंहटाएंकल रात चौदवीका चाँद
जवाब देंहटाएंगगनकी सैर को आया था ...
मेरी खिड़की के शीशे में ...
अपना अक्स देखकर वो भी इतराया था ....
बहुत ख़ूब........अंदाज़े बयाँ।