2 दिसंबर 2009

यकीं ...

कहीं दिनके उजालोंमें

कहीं रातके गहरे सायोंमें

मैंने देखा इस दुनियाका रंग रूप

बदलते चेहरे और रुखसारों पर ......

================================

हम रहे या न रहे ,

तेरे दिलमें मेरा बसेरा है

यकीं था तुम पर ख़ुद से ज्यादा ....

वक्त करवट लेते ही बदल गया हर रंग ,

लौटा तुझ पर भरोसे से ,

बिखरे मिले आँगनमें ख्वाबके आशियानेके

टुकड़े बिखरे बिखरे से .........

1 टिप्पणी:

विशिष्ट पोस्ट

मैं यशोमी हूँ बस यशोमी ...!!!!!

आज एक ऐसी कहानी प्रस्तुत करने जा रही हूँ जो लिखना मेरे लिए अपने आपको ही चेलेंज बन गया था । चाह कर के भी मैं एक रोमांटिक कहानी लिख नहीं पायी ...