9 अक्टूबर 2009

दीवाली दहलीज पर है ....


दीवाली का महापर्व दहलीज पर खड़ा है और हमारे घरकी किवाड़ पर दस्तक दे रहा है तब ....


तब हम महिलाएं घर की साफ़ सफाईमें झूट गई है ...पता है कितनी ही यादे फ़िरसे उभर रही है ...कोनेमें पड़े सामानको सहेजते वक्त कितनी चीजें निकलती है जिसकी खास याद जुड़ी होती है ...आज बॉक्स पलंग साफ़ करते वक्त कुछ तस्वीरोंके एल्बम निकले ...मेरी बेटी के पुराने कुछ खिलौने टूटे फूटे निकले ...मेरी कुछ कोलेजकी डायरी भी निकली ..जिसके पिछले पन्नो पर लिखे कुछ पुराने फिल्मी गाने थे और कुछ ख़ुद की लिखी बिल्कुल शुरुआती दौर की शायरियाँ निकली ..कुछ निक्कमे कपडे भी ....कितने चाव से ख़रीदे थे उस वक्त ...कितने खुश होकर पहने थे ...कितनी तारीफें बटोरी थी ...उसमें पड़ा वो छेद जो रिक्शासे उतरते वक्त पड़ा था ...उसे रफू करवाया था ...ये खिलौना उसे लेने के लिए बेटी कितनी रूठ गई थी ...अब ये ऐसे ही पड़ा है ...फ़िर भी कुछ चीजें मैं फ़िर से रख देती हूँ जिनसे जुदाई मैं बर्दाश्त नहीं कर पाती ...शादी के वक्त की साड़ीमें बहुत छेद बन गए है ...फ़िर भी ये अनमोल है ...पतिदेव का शादी के वक्त का सूट जो अभी उन्हें बहुत छोटा पड़ने लगा है ...पर बेशकीमती है मेरे लिए ....


जब ये सब नया था तबकी सारी यादों का सैलाब साथ साथ चल रहा था ...शायद ये एक पर्व होता है जब पुराने रिश्तों से पुराने कपड़े ,चीजों तक की यादों से हम सब वाबस्ता होते है ....पुरानी टूटी चीजें कबाडी के हवाले की जाती है ..नई चीजें अपनी जगह बना लेती है ....बस जीवन का ये ही तो चक्कर होता है ....


अगर जीवन को सरलतासे जीना होतो पुरानी चीजोंको जो शायद अब काम ना आएगी उसे दूर करनी पड़ती है ...किसीके लिए कड़वाहट हो उसे भी कचरा पेटी के हवाले कर देते है तो मन भी मकान की तरह साफ़ सुथरा बन जाएगा और दीवाली की रोशनी मन को भी जगमगा देगी ...बस मन और मकानकी सफाई के बाद रौशनी से जगमगा देंगे इस छोटे से मकान को जिसे हम "घर " कहते है .....


चलो सब मिलकर इस महापर्व का इंतज़ार करते है जो कुछ ही कदम पर आने के लिए दस्तक दे रहा है .....

1 टिप्पणी:

  1. रिश्ते की पड़ताल करता हुआ आलेख द्वारा आपने दीवाली के अवसर पर यादों के चिराग ख़ूबसूरती से जलाए हैं।

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