कभी लगता है जिंदगी थम गई है ...पता नहीं आज एक ऐसा निजी अनुभव आपके साथ बांटने जा रही हूँ ....
जब नवरात्री चालू हुई तब मैं बीमार हो गई ..दो दिन तक मैं यहाँ कुछ लिख नहीं पायी ...दो पोस्ट दी और फ़िर ये इन्टरनेट कनेक्शन बंद हो गया तकनिकी प्रॉब्लमके कारण ...तब सोचा एक कलम से लेकर जब कागज़ पर लिखती हूँ सब तब ये सिर्फ़ मैं पढ़ पाती हूँ ...और ये तकनीक के कारण जब सबके साथ विचार बांटे जाते है मैं भी दुनिया के किसी अनजान व्यक्ति के विचार पढ़ती हूँ तब एक रिश्ता बन जाता है ...और जब ये तकनीक में गडबडी हो जाती है तब हम कितना अकेला अनुभव करते है ??? मेरी डायरी के पन्ने बहुत बोलते हैं...और ये ब्लॉग बोले तो कितना फर्क पड़ जाता है ....
हमारा ये रिश्ता कितना अजीब है ....दुनिया एक छोटे से बॉक्स में समां जाती है ...
काश आकाशके फलक का हो कागज़
और हमारे विचार हम उस पर ऊँगली से लिख जाते
कुछ सूरज की किरणोंसे जल जाते ,
कुछ बारिशकी बूंदोंमें धूल जाते ,
कुछको सहलाता चाँद अपनी बांहों में लेकर
और सितारे कभी पढ़कर कुछ और टिमटिमा जाते .....
अय नादान दिल बस यूँ ही सोचकर हम भी धड़क जाते ....
कुछको सहलाता चाँद अपनी बांहों में लेकर
जवाब देंहटाएंऔर सितारे कभी पढ़कर कुछ और टिमटिमा जाते .....
अय नादान दिल बस यूँ ही सोचकर हम भी धड़क जाते
waah bahut khub,khayal bhi aasman mein ud chale,aasha hai aap ab swasth hongi,dashera ke liye shubkamnaye.
सही है दुनिया एक बक्से में समा जाता है
जवाब देंहटाएंwaah waah........bahut badhiya likha hai.
जवाब देंहटाएंaapki sehat achchi hogi is kamna ke sath dushehre ki shubhkamnayein.