जब कुछ समज ना आए ,खामोश रहो ,
बहुत गुस्सा आ जाए ,खामोश रहो ,
जब भीड़ बोल रही हो ,खामोश रहो ,
जब खूब खुश हो ,खामोश रहो ...........
जब दिल डूबा सा लगे ,खामोश रहो ,
जब प्यार हो जाए, खामोश रहो ,
जब दिल टूट जाए ,खामोश रहो ,
प्यार के इजहारमें या फ़िर इनकारमें खामोश रहो ......
क्योंकि खामोशी की जुबान बहुत बोलती है ,
बिन बोले सारे राज खोलती है ,
समज सको तो समज लो क्या कहती है ,
अगर समज ना सको तो भी खामोश रहो ...........
waah.......aaj to khamoshi ko alag hi rang de diya.
जवाब देंहटाएंआपने तो ख़ामोश ही कर दिया
जवाब देंहटाएंप्यार के इजहारमें या फ़िर इनकारमें खामोश रहो ......
जवाब देंहटाएंक्योंकि खामोशी की जुबान बहुत बोलती है ,
बिन बोले सारे राज खोलती है ,
sach khamoshi bhi jadumantar ki tarah asar karti hai.haan khamoshi bhi bolti hai,bas mehsus hona chahiye,sunder rachana.badhai.
रचना के माध्यम से सही सीख दी....आभार।
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