13 अगस्त 2009

खामोश रहो

जब कुछ समज ना आए ,खामोश रहो ,

बहुत गुस्सा आ जाए ,खामोश रहो ,

जब भीड़ बोल रही हो ,खामोश रहो ,

जब खूब खुश हो ,खामोश रहो ...........

जब दिल डूबा सा लगे ,खामोश रहो ,

जब प्यार हो जाए, खामोश रहो ,

जब दिल टूट जाए ,खामोश रहो ,

प्यार के इजहारमें या फ़िर इनकारमें खामोश रहो ......

क्योंकि खामोशी की जुबान बहुत बोलती है ,

बिन बोले सारे राज खोलती है ,

समज सको तो समज लो क्या कहती है ,

अगर समज ना सको तो भी खामोश रहो ...........

4 टिप्‍पणियां:

  1. आपने तो ख़ामोश ही कर दिया

    जवाब देंहटाएं
  2. प्यार के इजहारमें या फ़िर इनकारमें खामोश रहो ......

    क्योंकि खामोशी की जुबान बहुत बोलती है ,

    बिन बोले सारे राज खोलती है ,

    sach khamoshi bhi jadumantar ki tarah asar karti hai.haan khamoshi bhi bolti hai,bas mehsus hona chahiye,sunder rachana.badhai.

    जवाब देंहटाएं
  3. रचना के माध्यम से सही सीख दी....आभार।

    जवाब देंहटाएं

विशिष्ट पोस्ट

मैं यशोमी हूँ बस यशोमी ...!!!!!

आज एक ऐसी कहानी प्रस्तुत करने जा रही हूँ जो लिखना मेरे लिए अपने आपको ही चेलेंज बन गया था । चाह कर के भी मैं एक रोमांटिक कहानी लिख नहीं पायी ...