8 जून 2009

ये दिल भी ना...!!!!

ये दिल की कश्मकश भी कुछ अजीब है ,

पास है हम जिनके वही हमसे दूर से है ,

पास जाकर छूकर देखा तो अभी भी वो वहीं है ,

फ़िर भी लग रहा था वो कोसों दूर है ..........

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तुम्हारी चाहत की ये रिवायत रहेगी ,

दिल तोड़ना हरदम यही तुम्हारी फितरत होगी ,

फ़िर भी चाहते रहेंगे तुम्हे इस जनममें ,

ये ही हमारी हमेशा हसरत होगी ..............

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प्यार को समजनेमें शायद उम्र गुजर ना जाए कहीं ,

कभी दिल धड़क जाए देखकर किसीको तो है प्यार यही ,

कुछ पहली जिंदगी को कागज़ पर बूजाई नहीं जाती ,

बस उनमें उलज़ते उलज़ते ये ख़ुद ही सुल्ज़ जाती है .....

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