जहाँ ये सारा बना फलक मेरा ,
तुम्हें सजा दूँ संवारूं बनाकर गीत मेरा ..........
सूर बनेंगे तेरे पायलकी झंकार ,
धून होगी तेरे कंगनकी खनखनाहट ,
मुस्कराहट तुम्हारी जायेगी बनकर गीत मेरा ,
अबके सावनमें फिजा भी गुनगुनायेगी फुहार बनकर .............
झुमका डोले जैसे बांसुरीमें सूर कोई मनभावन डोले ,
तुम्हारे नयन जब झांकते है पलकोंके झरोखोंसे ,
तुम्हारी बिंदिया भी सरगम सुना रही है बेताबीसे ,
धानी चुनर भी लहरा रही है उड़ उड़ भीग जाने को बरसातमें .........
पिघलती हुए आसमानको हथेलीमें सजा दो ......
कड़कती इस बिजलियोंसे मांग सजा दो ,
शोलोंसी बहकी हवाएं दे जाओ सर्द शाममें ,
भीगे हुए इस मौसममें यादमें मेरी पलकोंको नम न बनाओ .....
सूर बनेंगे तेरे पायलकी झंकार ,
जवाब देंहटाएंधून होगी तेरे कंगनकी खनखनाहट ,
मुस्कराहट तुम्हारी जायेगी बनकर गीत मेरा ,
अबके सावनमें फिजा भी गुनगुनायेगी
waah behad sunder,dil ko chu gayi,ye kya sirf mon aur thursd post.hame to roj padhne ka nasha laga hai aapka blog.
jab koi sanwarta hai,
जवाब देंहटाएंto jindagi sawarane wala bhi najar aa jata hai,
nigahen utha ke to dekho,
anwar de jo jindagi,
vo pas hi khada hota hai.
बहुत लाजवाब ग़ज़ल प्रीती जी, बेहद उम्दा।
जवाब देंहटाएंreally nice...good one...
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