17 जनवरी 2009

ये तो एक ग़ज़ल है .....




प्यारका नूर छा जाता है ,

खुदाईमें तो कलमसे टपका हर लब्ज़ एक ग़ज़ल है.......

आरजूओं की बे- इन्तेहाँ कसक घुली जो ,

इंतजारमें लिखी कागज़ पर दिलके वो,

कलमसे टपकती स्याही एक ग़ज़ल है ...

फलकसे दिलकी गहराइयोंमें झांकना तेरा,

वो तेरी नजरका सुरूर भी तो एक ग़ज़ल है ।


बागोंमें खिलना हर फूल का और भौरेंका वो गान ,

चुपकेसे सुनो तो वह भी एक ग़ज़ल है ....


फिजामें सूखे पत्तोंकी वह सरसराहटकी वह सिसकियाँ,

दर्द के साज़ पर छेडी गई एक नजाकतसे भरी एक ग़ज़ल है ....


धड़कन बनकर सुनाई देती है तुम्हारे दिलमें,

वो मेरी हर साँस एक ग़ज़ल है ...

हिज़रमें बहता हुआ हर अश्क आँखोंसे ,

तेरी तस्वीर पर वो हर अश्क एक ग़ज़ल है ...


दिल टुटके बिखर जाता है मेरे आशियानेके फर्श ,

टुटा हुआ दिलका वो हर टुकडा एक ग़ज़ल है ...

वीराने मंझरमें बहार लेकर आने वाली तेरी आहट,

उसकी हर दस्तक एक ग़ज़ल है ....


आमना सामना हो हमारा और शब्द लबमें ही सिल जाए ,

खामोशी का वह आलम भी तो एक ग़ज़ल है ......

4 टिप्‍पणियां:

  1. bahot hi badhiya nazm likha hai aapne bahot umda ..... aap mere blog pe aai achha laga sath me aapko meri gazal pasand aai iskeliye aapko dhanyawad aur dhero badhai aapka sneh bhavishya me milta rahe yahi ummid karta hun

    aapka
    arsh

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  2. बहुत सुन्दर लिखा आपने


    ---मेरा पृष्ठ
    गुलाबी कोंपलें

    जवाब देंहटाएं
  3. आमना सामना हो हमारा और शब्द लबमें ही सिल जाए ,

    खामोशी का वह आलम भी तो एक ग़ज़ल है ......



    सही है।

    जवाब देंहटाएं

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