हिजाबका नाम लेकर पलकोंकी चिलमन आँखोंके मयखाने पर ढँक लेते हो ,
काजलकी लकीर समशेर बनकर वार कर जाती है कत्ल हमें बस नजर से कर देते हो ।
शर्मोहयाकी अदाएं सब हसीनोंकी जिनके लब कुछ और निगाहें कुछ और बयां करती है ,
किसी हसीना को जरुरत नहीं हथियार की कभी ,जब अदाएं ही घायल कर जाती है ।
इश्क की रहगुजर से हम थे नावाकिफ पर हमारा तार्रुफ़ कराया आपकी उस दिलकशीने ,
जब दुपट्टा सरका था सिरसे आपके और चेहरे पर जुल्फोंकी घटा छा गई थी ।
एक जंजीर जुल्फ की थी बड़ी ही नटखट उड़ उड़ कर चेहरे पर आ रही थी ,
और कँवल सी नाजुक आपकी वो उंगली उसे चेहरेसे बार बार हटा रही थी ।
आपके ये दीदारने हमें इस कदर दीवाना बना दिया है हरदम ख्वाबोंमें आकर ,
मोहब्बत की वो अनजान अहेसासोंकी डगरका पता ठिकाना बता दिया है ।
इसे इश्क कहो या मोहब्बत कहो इबादत समज खुदाकी बंदगी करली जब हमने ,
तब डोली जब उठी आपकी तो अपनी सारी खुशियों को आपको इनायत कर दी हमने ...
मनोभाव का सुन्दर प्रस्तुतिकरण
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चाँद, बादल और शाम
से इश्क कहो या मोहब्बत कहो इबादत समज खुदाकी बंदगी करली जब हमने ,
जवाब देंहटाएंतब डोली जब उठी आपकी तो अपनी सारी खुशियों को आपको इनायत कर दी हमने ...
bahut sundar rachna..kaise likh lete hain aap?
ishq ka jadoo aisa hi hota hai..........jo na karwaye kam hai.
जवाब देंहटाएंwonderful....
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