16 जनवरी 2009

इश्क का जादू



हिजाबका नाम लेकर पलकोंकी चिलमन आँखोंके मयखाने पर ढँक लेते हो ,

काजलकी लकीर समशेर बनकर वार कर जाती है कत्ल हमें बस नजर से कर देते हो ।


शर्मोहयाकी अदाएं सब हसीनोंकी जिनके लब कुछ और निगाहें कुछ और बयां करती है ,

किसी हसीना को जरुरत नहीं हथियार की कभी ,जब अदाएं ही घायल कर जाती है ।


इश्क की रहगुजर से हम थे नावाकिफ पर हमारा तार्रुफ़ कराया आपकी उस दिलकशीने ,

जब दुपट्टा सरका था सिरसे आपके और चेहरे पर जुल्फोंकी घटा छा गई थी ।


एक जंजीर जुल्फ की थी बड़ी ही नटखट उड़ उड़ कर चेहरे पर आ रही थी ,

और कँवल सी नाजुक आपकी वो उंगली उसे चेहरेसे बार बार हटा रही थी ।


आपके ये दीदारने हमें इस कदर दीवाना बना दिया है हरदम ख्वाबोंमें आकर ,

मोहब्बत की वो अनजान अहेसासोंकी डगरका पता ठिकाना बता दिया है ।


इसे इश्क कहो या मोहब्बत कहो इबादत समज खुदाकी बंदगी करली जब हमने ,

तब डोली जब उठी आपकी तो अपनी सारी खुशियों को आपको इनायत कर दी हमने ...

4 टिप्‍पणियां:

  1. से इश्क कहो या मोहब्बत कहो इबादत समज खुदाकी बंदगी करली जब हमने ,

    तब डोली जब उठी आपकी तो अपनी सारी खुशियों को आपको इनायत कर दी हमने ...

    bahut sundar rachna..kaise likh lete hain aap?

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