जहाँ पर नज़र रूकती है रुख तेरे आशियाने का है ,
आँखें मूंदते है मगर दीदार तेरे ख़यालमें होते है ,
इसे इश्क का आलम समज़नेकी गुस्ताखी करे कैसे ?
दिल टूट जानेके अंजामसे डरते है ...........
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एक बार आपके दिल पर इख्तियार आ जाने दो ,
मुझे अपने दिलसे भी इसकी इजाज़त मांगने दो ,
कितनी साँसे बाकी है अब उसका तो पता नहीं हमें ,
जुदाई लिखी तक़दीरने फिरभी अपनी आखरी साँस पर इश्क कर लेने दो .......
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