31 अगस्त 2011

गणपति बाप्पा मोरिया ...



आज ईद है ...कल संवत्सरी और गणेश चतुर्थी का त्यौहार है ......ये सिर्फ हमारे भारत देशमें ही हो सकता है की हर धर्मके त्यौहार ख़ुशी ख़ुशी मनाये जाते है .....


हमारे वड़ोदराको अब नए साल तक ये जश्नसे फुर्सत नहीं मिलेगी ...तीन दिन से पंडालमें गणेश मूर्ति की स्थापनके जुलुस चालू हो गए है ...डीजे के साथ गणपति आते है ....कल यूँही शामको छत के झूले पर बैठी कुछ लिख रही थी ....सड़क पर से गणेश सवारी निकली ....उसमे गाना बज रहा था ...झूम बराबर झूम शराबी ...कलम रुक गयी ....ये धार्मिक भावनाएं शायद किस तरह बिखर रही है .....कहाँ पर गयी हमारी आस्था .....


हमारे यहाँ नीचे बड़ी सी मूर्ति लाकर रखी गयी है ....पर मुझे सिर्फ छोटे बच्चे के उत्साहमें गणेश नज़र आ रहे है ...जो गाने बजाये जाते है शायद गणपति को मन करता है की चलो कहीं शांतिमें चले जाए ......दस दिन तक ये त्यौहार चलेगा ......मुझे लोगो को देखने की मजा आती है .....बहाने ढूंढते है हम खुश रहने के लिए ...तो ये भी एक बहाना है ....


पर मेरे लिए गणपति विघ्नहर्ता है ......मुझे उनकी कहानिया याद आती है ...टी वी पर आते छोटे बच्चे की गणेशजी की कार्टून कहानिया देखनी पसंद है .........मोदक पसंद है ....और उनकी छोटीसी आँखे और बड़े कान ...दुनिया की सबकुछ सुनो और उसे बुध्धिमानीसे ग्रहण करो ...छोटी छोटी आँखों से दुनिया देखो ...कोई छोटा बच्चा गिर जाए तो उसे संभालो ...उसे ठोकरसे गिरने से बचा लो ...उसके जीवन की राह का छोटा सा विघ्न हरो ...गणेश हमें भी मौका देते है ........बस येही मेरे लिए सच्ची आस्था है उनके लिए .....राह है कलसे शुरू होते हुए डेढ़ महीने तक उत्सवों के उस सफ़रका ....शायद ख़ुशी मेरा पता पूछती हुई कहीं से आ जाए .......



जय गणेश ...गणपति बाप्पा मोरिया ....

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