23 जनवरी 2014

वो कोहरे वाली हँसी …

बस ठण्ड से ठिठुरती वो चुभती हवाएं ,
कांच की खिड़की पर अंदर जमती भाप ,
उस पर दिल का आकार बनाकर
नीचे नाम लिखना आपका ,
वो दूर दूर कोहरे बादलों पर ,
उभर रही वो तुम्हारी तस्वीर ,
हाथ में गरमागरम कोफी का मग ,
उसे दोनों हथेलियोंसे कसकर पकड़ना ,
उसकी गरमाहट महसूस करना
जैसे तुम्हारा हो साथ ,
वो अलसाती हुई सुबहमें
अंगड़ाई लेती है जाड़े एक नरम नरम सुबह  …
मैं और मेरी तन्हाई और वो कोहरे वाली हँसी  … 

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