6 जुलाई 2012

यादोंमें तस्वीर बनकर चलते है ..!!!

कुछ अरमान हमारे कुंवारे रह जाते है ,
उसकी मांग सुनी होना तक़दीरमें लिखा है .....
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कदमोंको चलते हुए राहोंकी तलाश है ,
कौन समजाये की चलने पर राह बनती है !!!!
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तुम रिश्तोंका रूप बदलते रह गए हरदम ,
बस ये न देखा की हर रिश्ता हम तक ही पहुंचा है !!!!
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तुम्हे तक़दीरने डाल  दिया  मेरी झोलीमें ,
हमने उसे दुआ समजकर कुबूल कर लिया !!!
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रह रह कर आँखें भर आती है यूँ ही बैठे बैठे ,
जब बीते हुए हर पल यादोंमें तस्वीर बनकर चलते है ..!!!

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