7 फ़रवरी 2012

दिल झुकता है किसीकी तरफ

दिल झुकता है किसीकी तरफ 
और गैरसा बन जाता है खुद के लिए ,
दिल तो हमारा होता है पर 
किसीका हो जानेके लिए हमारी इजाजत नहीं लेता .....
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बेखुदीकी वो इन्तेहाँ हो गयी ,
उनके इंतजारमें एक और शाम हो गयी ,
वो आकर बैठे है मेरे बाजुमें ,
उनके खयालोकी गली न छोड़ पानेकी गुस्ताखी हो गयी ....
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उनके चेहरेसे नज़र नहीं हटती हमारी ,
और वो है की पलकें झुकाए बैठे है ....
उठा दोगे पलकोंकी चिलमन हौलेसे ,
तो प्यारकी  कसम उस नज़रमें हम डूब जायेंगे !!!!
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हसीनोके सितम भी हसीं होते है ,
वार होते है नज़रोके और दिल इश्कमें घायल होते है .....

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