22 अक्तूबर 2011

जिंदगी आज आई मेरे दरवाजे

जिंदगी आज आई मेरे दरवाजे 
कुछ वादे करने कुछ वादे लेने को ...
मैंने पूछा चलो आज कुछ ऐसे कर दे 
न कोई वादा तुम करो न हमसे लो ........
फिर मिलेंगे दोनों दीवाने कुछ ऐसे 
जीकर देखे वो भी जिंदगी 
जो किसी वादोंके बंधनसे हो परे ...
बेबाक ,बिंदास , आज़ाद .....
जहाँ कोई न हो सवाल न हो कोई जवाब ....
बस उसका पल हर एक हो खास खास खास .......
बस एक दिन एक दिन एक दिन .....
मैं सुकूनसे बैठी एक खिड़कीके बहार तकती हुई ....
जिंदगीकी खुशियों को पाया मुझे तलाशते हुए ....
जिंदगी के गम को भी पाया मेरा पता पूछते हुए ....
पर आज मैं आज़ाद थी हर वादे से परे थी ...
मुक्त ,उन्मुक्त ......

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