16 अक्तूबर 2011

बहते आंसुओकी जुबाँ...

बहते आंसुओकी जुबाँ सिर्फ दर्द ही तो नहीं ???
चलते रहते है साथ साथ वो हमसफ़र शायद हमदर्द नहीं .....
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गिले शिकवे तो करते है उसे 
जब दुनिया दर्द दे तो ,
अब बताओ वो नाम-पता  
जहाँ हम बयां कर सके 
वो दर्द ,वो झख्म, वो अश्क 
जो उसने मुझे तोहफेमें दिए !!!!!!
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न दो दर्द उतनाकी उसकी कशिश कम हो जाए ,
जो नाम रहता हर वक्त जुबाँ पर वो नाम जुबाँसे ओज़ल न हो जाए ...
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तेरी ग़ुरबत ,तेरी फकीरीको भी गले लगाकर चले तेरे साथ 
बहुत दूर चलते चलते हम इस मक़ाम पर आकर रुके है ,
ये तेरी बेरुखी ,ये तेरी बेदर्दीके आलममें अब जाएँ कहाँ 
वो सारी देहलीज को हम पीछे छोड़ चले तुम्हारे लिए !!!!!
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किसीसे गिला शिकवा क्यों करे अब 
जब हथेलीकी रेखाओमें तुम्हारा नाम ही नहीं था !!!!!!

2 टिप्‍पणियां:

  1. बहते आंसुओकी जुबाँ सिर्फ दर्द ही तो नहीं ???
    चलते रहते है साथ साथ वो हमसफ़र शायद हमदर्द नहीं .....बहुत ही सुन्दर पंक्तिया....

    जवाब देंहटाएं
  2. बहते आंसुओकी जुबाँ सिर्फ दर्द ही तो नहीं ???
    चलते रहते है साथ साथ वो हमसफ़र शायद हमदर्द नहीं ...behtreen...

    जवाब देंहटाएं

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