10 अप्रैल 2011

कमबख्त याद ....

एक सुनी सुनी सी सुबहमें
एक सुनी सुनी सी बात याद आ जाती है ....
दिल के किसी कोनेमें ख़ामोशीसे लेटी हुई
वो मुलाकात याद आ जाती है ......
वो सूखे पत्तो पर कदमोसे
फिजाओंमें गूंजी वो सरसराहट याद आ जाती है .......
वो हवाओंके पंख ओढ़े हुए
पानीकी लहरों पर बहती हो जैसे
वो मध्धम मध्धम सूरोंसे सजी
तेरी हँसी याद आ जाती है ....
वो रोशन हुई थी शमा
अँधेरेका पकड़कर दामन हौलेसे
वो तेरे रुखसार पर आकर रुकी अनायास
वो झुल्फकी लट याद आ जाती है ......
वो गिरते देखना रिमज़िम सावनको
अपनी कोरी हथेली पर
वो तेरे मासूम चेहरे पर
रूकती फिसलती शबनम याद आ जाती है .....
वो नीले अम्बरकी छतके तले
लम्बी रातोंमें सोने की नाकाम कोशिश करते
वो भूलने के भ्रममें जीते हुए
तेरे साथ ली हर सांस याद आ जाती है ...

1 टिप्पणी:

  1. kya baat hai , [ dil ke kisi kone men ------] shabdon va bhavnaon ka adbhut samnvay ,rachana virah ki tathyatmakata ko bakhubi snjote huye
    mukharit ho rahi hai , bahut sundar shilp.
    sadhuvad .

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