16 अक्तूबर 2010

एक नन्ही परी ...


कल गुडियासे खामोश बातें कुछ ऐसे थी :
उसने मेरी आँखमें आँख डालकर कहा
अय नेनी मुझे पता है तुम हो शैतानकी नानी
पर अब सुधर जाओ मैं आ गयी हु
अब आप थोड़ी गुड गर्ल बन जाओ ना !!!
तो मैंने कहा हमारे सुधरने के कोई चांस दूर दूर तक नहीं
अब तो हमें शैतानी का ओफ़िशिअल परवाना मिल गया ....
अब हम बंदरको चाबी भरकर नाच नचाएंगे
गुडिया की शादी भी रचाएंगे ,तेरे साथ भालू का नाच देखने जायेंगे
और रिमोट वाला हेलिकोप्टर भी साथ उड़ायेंगे .....
और बच्चू तुम को आये तो एक घंटा भी नहीं हुआ
हम तो अडतालीस साल से यहाँ विराजमान है ...
ये मम्मी पापाको बच्चे को डाँटते रहनेकी जन्मजात बीमारी होती है
हम नाना नानी दादा दादी उस बीमारी का अक्सीर इलाज है ...
तुम्हे डांटसे बचायेंगे ,तुम्हारे मा बापको इस बहाने हम भी सतायेंगे ...
सोच लेना हमारी दोस्ती सिर्फ फायदेका सौदा है ...
हमसे ये दोस्ती करना एक मस्त अनुभव रहेगा ...
तुम नाना की खिचड़ी मुछे खींचना और बाल भी नोच लेना
ऐसे मस्त काम जब तुम करोगी हर वक्त दो चोकलेट दिलवाएंगे ....
तो दोस्ती पक्की समजू ना ?????
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कल हमारे परिवारमें बीस साल के बाद दुर्गाष्टमीके पर्व पर लक्ष्मी का आगमन हुआ उस परी को पहली बार गोदमें उठाने के अविस्मरनीय एहसास उसी के नाम .......

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