30 सितंबर 2010

कुछ अजीब सा

कुछ ना बोलना भी बहुत कुछ कह देता है
और ये शोर भी कभी खामोशसा होता है ,
हर वक्त कोई आह्टका इंतज़ार होता है ,
बस येही जद्दोजहद कश्मकशमें जिन्दा होनेका एहसास होता है ...

1 टिप्पणी:

  1. जिन्दगी के विरोधाभास ही शायद जिन्दगी के एहसास का माध्यम है.

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