12 अगस्त 2010

जिन्दा हूँ !!!!

मैं जिन्दा हूँ ये एहसास दिलाना पड़ता है खुद को हरवक्त ....
पता नहीं ये किस मोड़ पर जा चुकी है जिंदगी
पता ही नहीं चलता की ख़ुशी है या गम इन राहों में ....
जिंदगी यूँ दोराहो पर ना छोड़
या तो पूरी तरह गमके कांटे बन बिछ जा जिंदगी में
या फिर फूलों की चादर बनकर बिखरती रह यहाँ .....
तड़प गया हूँ .घुटन हो गयी है ....
बस एक सांस दे दे ...एक सदा दे ....

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