5 फ़रवरी 2010

दो जू की दास्ताने मोहब्बत


वो निशाकी झुल्फोंमें था जादू ,
वो पूजाके लहराते बालोंकी थी कशिश ,
बस आशियाना बना था किसी का वो
बस एक प्यार की कमी थी ,
एक दिन निशाकी जुल्फोंसे ईशा नामकी जूने
मोबाइल किया पूजाकी जुल्फोंमें बसे साहिल को ....
है जो उसका पहला प्यार बना ...
हाल कैसा है जनाब का ?
दुजेने कहा क्या ख्याल है आपका ???
ईशाने कहा हम यहाँ पर ऐश फरमाते है ,
रात को टहलने भी जाते है ...
निशाके टकलू पतिके सर पर हम स्केटिंग करके आते है ...
ऐ सी में नींद भी जमकर आती है ...
घुंघराले लम्बे केश में खून की कमी कभी ना सताती है ....
साहिल तो गममें डूब डूब गया रोते हुए
कहने लगा ये हमारी मुलाकात आखरी है ....
मैंने पूजाकी बाथरूममें आज मेडिकरकी बोतल पाई है ...
हम कल रहे ना रहे तुम हमें याद कर लेना ...
आज पूजा शायद ब्यूटी पार्लर जायेगी हेर कट करवाने को
हम वहां कोई नया घर ढूँढेगे कंगे में जमकर ...
बड़े अच्छे दिन मुझे बहुत याद आयेंगे
जब हमें खुशबू वाले तेल मदहोश कर जाते थे ,
वो क्रीमके भी थे जलवे और बादामका तेल पुष्ट बनाने को ...
ईशा तब बोली बस मैं तो जूठी बातों से दिल बहलाती हूँ ...
चमेली तेलकी गंधसे मैं यूँ ही मर जाती हूँ ...
तब एक लिखिए ने (जू निकालने वाली बारीक कंगी )ईशा के सर पर किया वार ...
नेट वर्क टूट गया और एक प्रेम कहानी का करुणांत हो गया ....

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