24 जून 2009

बदलते रिश्ते

यकीं नहीं अब उस पर रहा ,
हर पल खाते थे कसम दोस्ती की ,
फ़िर भी परदा ही करते रहे हर बात पर ,
अब बेवफा हमें कह दिया ???
दोस्तीके मायने गर समज न आए तो
दोस्ती किसीसे ना कीजे ...
अगर ख़ुद पर यकीं ना रहे तो
औरों को बेवफा मत समजिये ...
मूड जाते है अब इसी मोड़ पर
एक हँसी अंजाम देकर ,
गर मिल गए फ़िर से रास्ते
बस पहचानकर एक मुस्कान दीजे ...

3 टिप्‍पणियां:

  1. दोस्तीके मायने गर समज न आए तो
    दोस्ती किसीसे ना कीजे ...

    बहुत सही कहा आपने,

    दोस्ती करने से पहले दोस्ती की समझदारी भी देख ले,
    बेवफा कहने से पहले खुद की वफ़ादारी भी देख ले

    जवाब देंहटाएं
  2. भावपूर्ण रचना...पर जरा वर्तनी में सुधार कर लें...और फिर से पोस्ट कर दें...

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