14 जून 2009

ये नादाँ दिल .....

गिले करते हो , शिकायत भी है हम से ,

ये तो आपका हक़ है ......

हम बेमुर्रवत है ,बे गैरत है ,बेवफा भी है हम ,

ये तो आपकी ही दी हुई सौगात है ..........

आए थे हम आपकी चौखट पर कभी ,

दुआ सलाम करने, आखरी अलविदा कहने ,

शायद न फुर्सद थी न फुरकत के कुछ पल भी ,

बस बेरुखी से मुंह मोड़ लिया आपने जाने क्यों ???

हम ही थे नादाँ बस ये छोटी सी बात न समज पाये थे ,

अब जरूरत नहीं आपको हमारे साये की भी ......

बस फर्क इतना सा हो गया है .....

उस मोड़ पर ,उस राह पर हम आज भी खड़े है ,

पहले जहाँ बातें थी हमारी , अब खामोशियों के गहरे साये रहते है ......

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